भारतीय रेलवे दो प्रकार के कोचों का उपयोग करता है, पहला है आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्टरी) है और दूसरा है एलएचबी (लिंक होफमैन बुश)। जबकि भारतीय रेल में ट्रेवल करने के लिए आप कई प्रकार की क्लास में ट्रेवल कर सकते हैं। इसलिए आज हम आपको भारतीय रेल के कोच और क्लास के बारे में बता रहे हैं।
आईसीएफ कोच एक पारंपरिक रेलवे कोच है जो भारतीय रेलवे के मुख्य मार्ग यात्रियों के डिब्बों पर इस्तेमाल किया जाता है। इन कोचों का डिजाइन आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री), पेराम्बुर, चेन्नई, भारत द्वारा विकसित किया गया था।
एलएचबी कोच, भारतीय रेलवे के यात्री डिब्बे हैं जिन्हें जर्मनी के लिंक-होफमैन-बुश द्वारा विकसित किया गया है। इन कोचों को 160 किमी/घंटा की गति से चलने वाली ट्रेनों के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह अधिकतम गति 200 किमी/घंटा तक जा सकते हैं।
ट्रेवल क्लास के प्रकार
भारतीय रेल यात्रा के वर्ग के आधार पर विभिन्न प्रकार के बैठकों या बर्थों के साथ अपने कोचों पर विभिन्न प्रकार की यात्रा कक्षाएं प्रदान करता है।
1A - फर्स्ट क्लास एसी
यह भारतीय रेल का सबसे मंहगा क्लास है। इसकी कीमत हवाई जहाज के किराए के लगभग बराबर होती है। फर्स्ट एसी में आठ केबिन होते हैं और आधे एसी प्रथम श्रेणी के कोच में तीन केबिन होते हैं। कोच में यात्रियों की मदद करने के लिए एक सेवक होता है। बिस्तर किराए के साथ शामिल होते हैं। यह एयर कन्डिशन्ड कोच केवल लोकप्रिय मार्गों पर मौजूद है और यह कोच 10 या 18 यात्रियों को ले जा सकता हैं। स्लीपर बर्थ बहुत चौड़ा और विस्तृत हैं।
2A - टू टियर एसी
रेलवे का सेकंड एसी कोच भी स्लीपिंग बर्थ के साथ एअरकंडीशन्ड होता है। इसमें एंपल लेग रुम होता है, पर्दे होते हैं और इंडीविजुअल रीडिंग लैंप भी लगा होता है। इस कोच में सीटें छह खंडो के दो स्तरों में बटी होती हैं। चार सीटें कोच की चौड़ाई में फैली हुईं और दो सीटें साइड में। निजता का ख्याल रखते हुए हर सीट में एक पर्दा लगा हुआ होता है। एक ब्रॉड गेज कोच (ICF) में करीब 46 यात्री सफर करते हैं, वहीं LHB कोच में 52 यात्री तक सफर कर सकते हैं।
3A- थ्री टियर एसी
यह कोच भी स्लीपिंग बर्थ के साथ फुली एअरकंडीशन्ड होता है। हालांकि इसकी सीटें 2AC के जैसी ही व्यवस्थित होती हैं, लेकिन इसमें चौड़ाई के सापेक्ष थ्री टियर होते हैं और दो साइड में यानी कुल मिलाकर 8 सीटें एक कोच में होती हैं। इसमें पढ़ने के लिए किसी भी प्रकार का कोई लैंप नहीं लगा होता है, इसमें उपलब्ध कराई जाने वाली बेडिंग का खर्चा आपके किराए में शामिल होता है। इसमें 64 यात्री सफर करते हैं। ब्रॉड गेज के (ICF) कोच में जहां 72 यात्री सफर कर सकते हैं।
FC - फर्स्ट क्लास
फर्स्ट क्लास कोच एसी फर्स्ट कोच के समान होता हैं लेकिन इसमें AC नहीं होती है। बिना एसी के इस कोच में कोई बिस्तर उपलब्ध नही होता हैं। इसके बर्थ फर्स्ट एसी के मुकाबले छोटे होते हैं। यात्रियों की मदद के लिए कोच में कर्मचारी भी उपलब्ध होता है।
3E - एसी थ्री टियर (इकॉनमी)
गरीब रथ एक्सप्रेस गाड़ियों में शयन बर्थ के साथ वातानुकूलित डिब्बों होते हैं। बर्थ को आम तौर पर 3A के रूप में व्यवस्थित किया जाता है।
EC - एग्जीक्यूटिव चेयर कार
इस वातानुकूलित कोच में सीटों के बीच काफी ज्यादा जगह होती है। इस कोच की एक पंक्ति में कुल चार सीटें होती हैं। इन कोचों का इस्तेमाल तेजस एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों में किया जाता है।
CC - चेयर कार एसी
यह भी एयरकंडीशन्ड सीटर कोच होता है, जिसमें एक रो में सिर्फ पांच सीटें ही होती हैं। इस तरह के कोच दिन की यात्रा के लिए होते हैं। इस तरह के कोच का इस्तेमाल गरीब रथ, डबल डेकर और शताब्दी ट्रेनों में किया जाता है।
SL - स्लीपर क्लास नॉन एसी
स्लीपर क्लास भारतीय रेलवे का सबसे आम कोच है, आमतौर पर इस तरह के दस या अधिक कोच एक ट्रेन में जोड़े जाते हैं। इस कोच में चौड़ाई में तीन बर्थ होती हैं और दो लम्बाई में होती हैं, इसमें यात्रियों के लिए 72 सीटें होती हैं।
2S - सेकंड सिटींग नॉन एसी
सेकंड सीटिंग कोच सबसे निचले वर्ग के कोच होते हैं। इसमें यात्रियों के लिए केवल बैठने के लिए सीटें होती हैं। एक बर्थ पर 3 यात्री बैठते हैं। इसमें LHB कोच में बैठने के लिए 108 सीटें होती हैं।