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राष्ट्रीय रेल संग्रहालय
2018-04-12 12:31राष्ट्रीय रेल संग्रहालय
राष्ट्रीय रेल संग्रहालय

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय नई दिल्ली

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय नई दिल्ली में स्थित है, जो भारत की रेल धरोहर है और 140 साल के इतिहास की झलक प्रस्तुत करता है। इसकी स्थापना 1 फरवरी, 1977 को की गई थी। हालांकि 1970 में ट्रांसपोर्ट संग्रहालय के खोलने के विचार को सदृढ़ रूप मिस्टर माइकल ग्राहम स्टोव, जो कि एक रेल प्रेमी थे, के सलाह और देख-रेख में मिला। उस समय के भारतीय राष्ट्रपति श्री वी.वी.गिरी ने रेल ट्रांसपोर्ट संग्रहालय की नीव इसके वर्तमान जगह चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में 7अक्टूबर 1971 को रखी। संग्रहालय का उद्घाटन माननीय रेलवे मंत्री श्री कमलापति त्रिपाठी द्वारा 1 फरवरी 1977 को किया गया।

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय नई दिल्ली

यह लगभग 11 एकड़ से अधिक के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें भवन के अंदर और बाहर दोनो ही प्रकार की रेल धरोहरें सुरक्षित हैं। विभिन्न प्रकार के रेल इंजनों को देखने के लिए देश भर से लाखों पर्यटक यहां आते हैं। यहां पर रेल इंजनों के अनेक मॉडल हैं और विभिन्न प्रकार के कोच भी हैं जिसमें भारत की पहली रेल का मॉडल और इंजन भी शामिल हैं।

इसका निर्माण ब्रिटिश वास्तुकार एम जी सेटो ने 1957 में किया था। यहां एक छोटी रेलगाड़ी भी चलती है, जो कि संग्रहालय का पूरा चक्कर लगवाती है। इस संग्रहालय में विश्व की प्राचीनतम चालू हालत की रेलगाड़ी भी है, जिसका इंजन सन 1855 में निर्मित हुआ था। इसके अलावा यहां रेस्टोरेंट और बुक स्टॉल भी है। तिब्बती हस्तशिल्प का प्रदर्शन भी यहां किया गया है।

संग्रह

  • संग्रहालय में रेलवे के वास्तविक आकार के और छोटे आकार के प्रदर्शनी वस्तुएं हैं
  • यह देश का सबसे बड़ा रेल संग्रहालय है।
  • संग्रहालय में भारतीय उपमहाद्दीप के लोकोमोटिव और रजवाड़ों के कोच हैं।
  • पटियाला राज्य मोनो रेल और जॉन मॉरिश दमकल इंजन दुनिया में अपनी तरह की नायाब प्रदर्शित वस्तु है।
  • संग्रहालय में दस्तावेज, नक्शे, चित्र, किताबें और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं जो भारतीय रेलवे के 160 से अधिक वर्षों के इतिहास से संबंधित है।
  • संग्रहालय में देश भर से एकत्रित लोहे व इस्पात से बनें भाप के इंजन और लकड़ी से बनें रेल डिब्बे भी है।
  • संग्रहालय में प्रदर्शित इंजन और डिब्बों की निरंतर मरम्मत चलती रहती है। इन गतिविधियों में कुछ भारतीय रेलवे के विभिन्न कार्यशाला/इकाइयों द्वारा किये जाते हैं।

आधुनिकीकरण

संचार के माध्यमों में बदलाव को मद्देनजर रखते हुए, संग्रहालय अपने आगामी कार्यों के संचालन के लिए नियमित रूप से उन्नयन(upgrade) की प्रक्रिया होती रहती है। इस संग्रहालय में रेल सिम्यूलेटर की संख्या शायद दुनिया में सबसे अधिक है। अत्याधुनिक 3डी आभासी वास्तविकता आगंतुकों(Visitors) को वापस पुराने समय में ले जाती है। इंडोर गैलरी में डिजिटल और मोबाइल तकनीकों का उपयोग यहाँ की यात्रा को पारस्परिक(interactive), शैक्षिक और आकर्षक बनाती है।

संग्रहालय में मोबाइल ऐप और वेब साइट की एक सारणी है जो एक रेल प्रेमी को प्रदर्शित वस्तुओं से जुड़ने का मौका देती है। 3डी आभासी पर्यटन और इंडोर पोजिशनिंग सिस्टम आगंतुकों(Visitors) को उनकी पसंद की सामग्री का उपयोग करने में सहायक हो, ऐसी व्यवस्था भी भविष्य में की जाने वाली है। संग्रहालय में एक रेल समुदाय बनाने का प्रयोजन है जो लोगों को संग्रहालय में सुधार के लिए अपनी टिप्पणी और विचारों के योगदान का स्वागत करेगा।

कब जाएँ

सोमवार को छोड़कर राष्ट्रीय रेल संग्रहालय हमेशा खुला रहता है।

खुलने का समय:

मंगलवार से रविवार, सुबह 10:00 से शाम 05:00 तक (शाम 04:30 बजे के बाद प्रवेश की अनुमति नहीं है)।

पता:

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, शांति पथ, चाणक्यपुरी, भूटान दूतावास के पास, नई दिल्ली।

घूमने के स्थान:

रेल गार्डेन

रेल गार्डेन

भारत का विशालतम रेल गार्डेन, राष्ट्रीय रेल संग्रहालय नई दिल्ली में स्थित है। रेल गार्डेन सभी उम्र के लोगों के लिए सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है। आपके आगमन को यादगार बनाने के लिए और आपके पुराने दिनों की याद दिलाने के लिए इसको बहुत ही खूबसूरती के साथ डिजाईन किया है। रेल गार्डेन में आप 1:22.5 माप की चलने वाली यात्रीगाड़ी, मालगाड़ी, झरने, केबल कार, और पहाड़ी इलाकों में चलने वाला भाप इंजन आपको मंत्र-मुग्ध कर देगा। ट्रेन को ऐतिहासिक धरोहर (जैसे विक्टोरिया टर्मिनल, चारबाग, मद्रास सेन्ट्रल, गुना, दिल्ली) के पास से गुजरते हुए देखा जा सकता है।

टॉय ट्रेन की सवारी

टॉय ट्रेन

संग्रहालय में आप अद्धभुत एवं अनोखी टॉय ट्रेन की सवारी भी कर सकतें हैं। सफर के दौरान आप हॉर्न दबा कर, सीटी बजा कर तथा बत्तियों को ऑन-ऑफ कर भरपूर आनंद लें सकते हैं। सवारी के दौरान रास्ते में पड़ने वाले संग्रहालय के छोटे स्टेशन एवं अन्य रेलगाड़ी के दृश्य इत्यादि बहुत ही मनमोहक होते हैं। हालांकि 1:8 माप का ट्रेन भीम तथा 4-4-0 भाप इंजन के जैसे विशाल नहीं है फिर भी आप इसमें बैठ सकते हैं। इस ट्रेन का डिजाइन सभी उम्र के लोगों के लिए किया गया है इसमें बड़े और बच्चें दोनों बैठ सकते हैं। इसकी गति धीमी है ताकि लोग आराम से सफर के दौरान आने वाले प्रदर्शित वस्तु, झरना, पुल, सुरंग तथा कलाकृतियों का आनंद ले सकें।

भारत का लघु रूप

भारत का लघु रूप

यह भारत का सबसे बड़ा काम करने लायक रेलवे मॉडल प्रदर्शन है। भारत के लघु रूप में आपका स्वागत है। यह आपकी पुरानी यादों को ताजा करेगा, साथ ही साथ आपको भविष्य का दर्शन कराएगा। लघु भारत विभिन्न प्रकार के 1:7 माप के परिदृश्य मॉडल को प्रदर्शित करता है। चलने वाले मॉडल, यात्री गाड़ी, मालगाड़ी, बुलेट ट्रेन, और पहाड़ी इलाको में चलने वाले भाप इंजन आप सबके मन को चकित कर देंगे। इसमें वानखेड़े स्टेडियम भी है जिसमे आप भारत पाकिस्तान के क्रिकेट मैच का आनंद ले सकते हैं।

इंडोर गैलरी

भारत का लघु रूप

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय की इंडोर गैलरी आपको भारतीय रेल की कहानियों से पुरानी यादों की तरफ ले जाएगा। इंडोर गैलरी में आप अपने दिन का आनंद लेते हुए भारत के शुरुआती दिनों के यातायात के साधनों से रुबरु होंगे तथा भविष्य के दर्शन करेंगे। भारतीय रेल में लगभग 13 लाख से अधिक लोग कार्यरत् है। तथा 1.15.000 किमी. लम्बी पटरियों में गाड़िया दौड़ती हैं जिसका इतिहास 160 वर्ष से अधिक पुराना है।

इंडोर गैलरी में अनेक प्रकार के ट्रेन मॉडल, ऐतिहासिक संग्रह, इंट्रेक्टिव गेम, आधुनिक सिम्यूलेटर और आधुनिक तरीके के संचार व्यवस्था के माध्मय से भारतीय रेलवे के सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रदर्शित करने के लिए इंडोर गैलरी को छः हिस्सों में बाँटा गया है। कियोस्क के लिए ऐसे इंट्रेक्टिव सॉफ्टवेयर बनाए गए हैं जो जनता को सीखने के लिए प्रोत्साहित करती है तथा साथ ही साथ भारतीय रेलवे के समृद्ध विरासत और रेलवे की नवीनतम तकनीकी विकास को उजागर करती है।

संग्रहालय गतिशील कल्पनाशील प्रोग्राम आयोजित कराता है जो रेल ज्ञान की अवधारणा के लिए प्रोत्साहित करता है। डिजिटल प्रौद्दोगिकी का बेहतर इस्तेमाल से अंतर क्रियाशीलता की जानकारी में सुधार और रेल प्रौद्दोगिकी के इतिहास और सिद्धांतों के बारे में जानकारी देता है। इसका उद्देश्य आगंतुकों में जिज्ञासा और सोच को बढ़ाना और रेलवे से संबंधित सामाजिक मुद्दों को बढ़ावा देना है। जब दिल्ली आएं तो निश्चित ही यहाँ का दौरा करें।